नौकरशाह बनना है तो एग्जाम की तैयारी छोड़ो, भक्त बन जाओ!
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- अभिनेता मनोज वाजपेयी के भाई समेत नौ लोग बिना इम्तहान दिये बने आईएएस... बजाओ ताली।
अजय औदीच्य
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वाकई मोदी सरकार अभूतपूर्व फैसलों के मामले में विश्व रिकॉर्ड या तो तोड़ चुकी होगी, या फिर तोड़ने के करीब है। नोटबंदी, जीएसटी, महज 4 घंटे का अल्टीमेटम देकर लॉकआउट जैसे कितने ही फैसले इस सरकार के रिकॉर्ड का हिस्सा हैं। अब एक और फैसला हुआ है, और वह यह कि नीतिगत फैसलों के लिये आईएएस स्तर के अधिकारियों की सीधी भर्ती की गई है। यानि संदेश साफ है कि आईएएस बनना है तो अब परीक्षा की तैयारी का झमेला छोड़ो, बस भक्त बन जाओ। न आरक्षण कानून का झंझट न पढ़ाई के लिये कहीं कोचिंग जाने का। सत्ताधारियों या फिर पूंजीपतियों में घुसपैठ हो तो काम बन जाएगा। मौजूदा मोदी सरकार ने फिल्म अभिनेता मनोज वाजपेयी के भाई सुजित वाजपेयी समेत 9 आईएएस बिना किसी परीक्षा के नियुक्त किये हैं। केन्द्र सरकार में संयुक्त सचिव पद पर हुई इस नियुक्ति को लेकर विपक्षी गलियारों में विरोध के स्वर उठ रहे हैं, लेकिन देश की मीडिया को किसी की आवाज नहीं सुनाई दे रही। शायद इसलिये कि आवाज बाहर जाएगी तो आईएएस-आईपीएस बनने के लिये हाड़तोड़ मेहनत करने वाले शिक्षित युवा निराश होंगे और आश्चर्य नहीं कि जेएनयू जैसे विश्वविद्यालयों में कोई आंदोलन का शंखनाद भी कर दे। बहरहाल, बिना परीक्षा सीधी भर्ती से जो ज्वाइंट सेक्रेटरी बने हैं, उनमें सुजित वाजपेयी की पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन, अम्बर दुबे की नागरिक उड्डयन, अरुण गोयल की वाणिज्य, राजीव सक्सेना की आर्थिक मामले, सौरभ मिश्रा की वित्तीय सेवा, दिनेश जगदाल की नवीनीकरण उर्जा, सुमन प्रसाद सिंह की सड़क राजमार्ग, भूषण कुमार की जहाजरानी और कोकोली घोष की किसान कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव पद पर नियुक्ति की गई है। इन सभी को जाहिर तौर पर नीतिगत फैसले लेने का अधिकार मिला है, भले ही इन्हें इसके लिये कोई अनुभव और नियम-कानूनों की जानकारी न हो। अनुभव की जरूरत ही क्या? आखिर संघ की शाखाओं से तो मिला ज्ञान होगा ही। फिर सरकार में बैठे आकाओं का वरदहस्त भी तो है। वरिष्ठ आईएएस अशोक खेमका और अरविंद पनगढ़िया जैसे कुछेक अफसरों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है लेकिन ज्यादातर आईएएस हैरतजदा हैं और सुनने में यहां तक आया है कि आईएएस एसोसिएशन सरकार के इस कदम पर विरोध की रणनीति बना रही है। यूपी के पूर्व मुख्य सचिव व कांग्रेस के सांसद पीएल पूनिया ने इसका खुला विरोध दर्ज कराया है। उन्होंने कहा है कि सरकार का यह कदम भारतीय संविधान और आरक्षण कानून का खुला उल्लंघन तो है ही, सिविल सर्विसेज की परीक्षा के लिये तैयारी करने वाले प्रतिभावान युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी है। जो भी हो, मामला गंभीर है और यह सवाल उठना गैरलाजिमी नहीं है कि सीधी भर्ती से आईएएस बनने वालों की श्रद्धा व प्रतिबद्धता कानून व ईमानदारी के प्रति होगी या फिर कुर्सी पर बिठाने वाले आकाओं के प्रति? सवाल यह भी उठना लाजिमी होगा कि क्या लोकतांत्रिक मान्यताओं की बलि देने का सिलसिला चल पड़ा है?