... मैं तो ताली बजा रहा हूं


... मैं तो ताली बजा रहा हूं
अजय औदीच्य
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मेरा दोस्त जादूगर आज बहुत खुश था। दोपहर उसकी फोन कॉल रिसीव करते ही उसका अट्टहास सुनकर अजीब सा लगा। कोरोना से मौतों का आंकड़ा तेजी से बढ़ना और पश्चिम बंगाल व उड़ीसा में जान-माल का भारी नुकसान हर किसी को संजीदा कर रहा है। दूसरी ओर कोई ठहाके लगाए तो स्वाभाविक तौर पर हैरत तो होगी ही। मैने पूछ लिया कि ताई के 20 लाख करोड़ के पैकेज से कुछ तुझे भी मिल गया है क्या? बोला.. पागल, मिलना-मिलाना किसी को कुछ नहीं है। मैं खुश इसलिये हूं कि 20 लाख करोड़ के पैकेज के ऐलान ने समूचे विपक्ष का मुंह बंद कर दिया है। तूने देखा नहीं.. सोशल मीडिया पर भक्त इस पैकेज को टुकड़ों में परोस रहे हैं। खुशी इस बात की भी है कि पप्पू-भक्तों ने सड़क पर चलते एक भूखे मजदूर को मरे पड़े कुत्ते का गोश्त खाते तक का वीडियो वायरल कर दिया.. फिर भी न्यूज चैनलों का दिल नहीं पसीजा। उल्टे मां-बेटी की भेजी बसों को फर्जीवाड़ा साबित कर दिखाया। समझ यार.. बसें चल जातीं तो अपने बाबा जी की नाक नहीं नीची हो जाती क्या? फिर सरकार साहिब के आत्मनिर्भर वाले पाठ का क्या होता? मजदूर पैदल न जाते तो उन्हें आत्मनिर्भर कौन कहता? बोला.. यार, मीडिया को तो दाद देनी ही पड़ेगी। शहरों को छोड़कर पैदल अपने गांव जाते लाखों-करोड़ों मजदूरों को प्रवासी कहकर उन्हें दोयम दर्जे का बनाने में मीडिया ने शानदार रोल अदा किया है। मेरा बस चले तो सारे पद्म पुरस्कार इस बार मीडिया वालों को ही दे दूं। वैसे मैं सरकार साहिब को इसका प्रस्ताव जरूर भेजूंगा और कहूंगा कि मैंने अपने जादूगर का खिताब आपको दे दिया तो बदले में इतना अहसान तो कर ही दीजिये। इतना कहते ही वह जोर-जोर से ताली बजाने लगा। मैंने पूछा अबे, अब ताली क्यों बजा रहा है यार? बोला... क्यों न बजाऊं? करोड़ों मजदूरों पर सरकार के बेरहम हंटर चलने के बाद भी भक्तों पर कोई असर नहीं है। सरकार साहिब की जादूगरी देख... ऐसा दुनिया में कहीं-कभी हुआ है क्या? मैने कहा... अब ज्यादा पागल मत बन, गुजरात के चौकीदार ने बड़ा घोटाला कर दिया है। करोड़ों रुपए के नकली वेन्टीलेटर खरीदकर अस्पतालों में पहुंचा दिये और सरकार को मोटा चूना लगा दिया। मामला पकड़ा गया है और तेरे सरकार साहिब की फजीहत हो रही है। जादूगर ने फिर तालियां बजाना शुरू कर दिया। बोला.. इसमें कौन सी बड़ी बात हो गई। चीन से पीपीपी किट्स भी तो घटिया आई हैं, अब वेन्टीलेटर नकली आ गए तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ा? ज्यादा से ज्यादा कुछ हजार लोग मर ही तो जाएंगे। यार, 135 करोड़ की आबादी में दो-चार लाख मर भी गए तो क्या फर्क पड़ेगा? देखना, वेन्टीलेटर का घोटाला भी दब जाएगा। देखता नहीं, टीवी वालों ने कोरोना को छोड़ आजकल पाकिस्तान, चीन, उत्तर कोरिया के शगूफे छोड़ रखे हैं। जल्दी ही वेन्टीलेटर घोटाला इन शगूफों के शोर में दफन हो जाएगा। तू तो बस तालियां बजाने की आदत डाल ले। मैं तो चाहता हूं कि कोरोना का कहर थोड़ा और बरपा हो.. कम से कम दस-पांच साल चुनाव न होने का माहौल तो बन ही जाएगा। फिर रोती रहें मां-बेटी, बुआ-बबुआ और उनके चेले-चपाड़े। मैं मान गया कि जादूगर को राजनीति समझ में आने लगी है। हालांकि ताली बजाने की हिम्मत मुझमें फिर भी नहीं आई। बार-बार मरे कुत्ते को नोचकर उसका कच्चा गोश्त खाते भूखे मजदूर का वीडियो जो दिखाई दे रहा था।