हाये रे तेरी जादूगरी


हाये रे तेरी जादूगरी
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अजय औदीच्य
आज एक जादूगर दोस्त का फोन आ गया। दरअसल, वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मेरा सहपाठी था। न जाने कब उसने जादूगरी सीख ली और इसी को अपना पेशा भी बना लिया। आजकल भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों में उसे बड़े जादूगर की फेहरिस्त में शुमार किया जाता है। जी हां..उसका नाम है वी. सम्राट। चूंकि अरसे बाद फोन आया तो मैने उलाहना देते हुए सवाल कर दिया कि क्या यह पूछने के लिये फोन किया है कि जिन्दा हूं या नहीं? बोला.. हां यार, पूछ तो सही रहा है। बात हंसी-मजाक में गई और फिर दोनों संजीदा हो गए। शायद इसलिये, कि कोरोना के कहर से चलकर बात देश के आर्थिक हालात और प्रवासी बताए जा रहे अपने ही देश के मजदूरों की मौतों पर आ टिकी। माहौल हल्का करने के लिये मैने बातचीत की दिशा इस सवाल से बदलने की कोशिश की कि तेरा जादू का पेशा कैसा चल रहा है? क्या बताऊं.. वह तो और संजीदा हो गया। हंसते हुए जवाब दिया कि जब से मोदी मैजिक चला है, असली जादूगरों को पूछता ही कौन है? बोला- जादू कुछ नहीं है, यह लोगों को सम्मोहित कर सिर्फ भ्रम में डालना है। जो जितनी अच्छी तरह लोगों को भ्रमित कर ले, वह उतना ही अच्छा जादूगर होता है। फिलहाल मोदी जी से बेहतर कोई जादूगर ऐसा कर पा रहा है, मुझे तो नहीं लगता। अब देखिये न, अच्छे दिन के सपने दिखाकर दो बार देश की सत्ता कब्जा ली। खजाने को खोखला कर गुजराती विदेश भाग गए, दर्शक जनता फिर भी ऐसे वाह-वाह कर रही है, जैसे रुमाल से कबूतर निकालकर उड़ा दिये हों। ताजा जादू देखिये, कोरोना फैलते ही बिना किसी तैयारी के लॉकडाउन करवाकर दर्शकों से ताली-थाली बजवाकर दिवाली तक मनवा डाली। यहां तक शहरों से लाखों मजदूरों के पैदल पलायन तक पर भक्त दर्शक ताली ही बजा रहे हैं। डेढ़-दो सौ मजदूरों की मौत के बाद भी दर्शकों का जोश कम नहीं है। मजदूरों की भूख, उनकी तड़प, उनकी अंतहीन पीड़ा पर पप्पू-लल्लू जैसे कुछ-एक लोगों ने आवाज उठाई तो 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज का जादू दिखा दिया। भले ही चीन से पलायन कर दो दर्जन उद्योग भारत आने के बजाय इंडोनेशिया चले गए, लेकिन भ्रमित दर्शकों को यही लग रहा है कि पूरी दुनिया का निवेश अब अपनी इंडिया में ही होगा और हम दो-चार-पांच साल बाद अमेरिका से भी अमीर व ताकतवर हो जाएंगे। पैकेज भले ही सीता माता को भी समझ में न आए, दर्शक भक्तों का ताली बजना थम नहीं रहा है। बोला.. अब बता यार, मोदी जी से बड़ा कोई जादूगर हो सकता है क्या? इससे पहले मैं कुछ बोल पाता, वह और मुखर हो गया। बोला.. दुनिया के सारे देशों ने विश्व बैंक और आर्ईएमएफ से जितना कर्ज लिया हुआ है, उसका आधे से ज्यादा भारत पर कर्ज है। एशिया में तो हम सबसे बड़े कर्जदार मुल्क हैं। यह अकेला देश है जिसमें इतने कर्ज के बाद भी मजदूर भूखे मर जाते हैं और हजारों किसान आत्महत्या कर लेते हैं। यह जादू का ही कमाल है कि जनता दीवानो की तरह जादूगर के नारे लगाती है। श्रीकृष्ण की गोपिकाओं से भी ज्यादा जादूगर के दीवाने हैं। मैं उसकी बात सुनता रहा और न जाने कब मोबाइल की बैटरी बोल गई। एक बात बताऊं?.. जादूगरी पर आखिर मैं भी वाह-वाह कर ही बैठा।