...और खोल दीं जादूगर ने आंखें
अजय औदीच्य
(प्रधान संपादक, निर्माण सूत्र)
आज जादूगर का फिर फोन आया। बड़ा गुस्से में था... निम्मो ताई से भी ज्यादा। मैंने कहा... यार, लॉकडाउन ने वैसे ही भेजा गर्म कर रखा है.. ऊपर से रोज निम्मो ताई और बाबा जी का गुस्सा झेल रहा हूं.. अब तू भी? बोला, गुस्सा ना करूं तो क्या करूं? सोशल मीडिया पर पप्पू-भक्तों ने नाक में दम कर रखा है। सुबह होते ही प्रवासी मजदूरों के वीडियो डालकर सरकार साहिब को कोसने लगते हैं। कभी मरे बालक को गोद में लिये सड़क पर चलती बदहवास मां तो कभी गरीब विकलांग को तपती धूप में सड़क पर पैदल सैकड़ों किलोमीटर का सफर करते दिखाते हैं। कभी रिक्शे पर पूरे परिवार को ढोकर पांच सौ मील का सफर करने निकले मजदूर का वीडिया वायर करते हैं और फटी अटैची पर बच्पे को औंधा लिटाकर उसे खींचते गरीब बाप का वीडियो। कभी पैदल गांव लौट रहे भूखे गरीब मजदूरों पर पुलिस की लाठियां पड़ते फोटो डालकर गुस्सा दिलाते हैं तो कभी जान-जोखिम में डालकर गर्दन तक नदी पार करते मजदूरों की नुमाइश करते हैं। हद तो यह है कि रेल लाइनों पर कटने और सड़कों पर कुचले जाने वाले मजदूरों के फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल कर देते हैं। मैंने पूछा. तो तुझे गुस्सा क्यों आता है? गरीबों की लाचारी देखकर तो दुख होना चाहिए... कैसा जादूगर है तू? बोला.. देख, पहले तो मुझे जादूगर कहना बंद कर दे। आखिरी बार समझ ले कि देश में एक ही जादूगर है और वे हैं हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी। उनके सामने किसी और को जादूगर कहना सरकार साहिब का अपमान होगा। मैंं नहीं चाहता कि कोई तुझे राष्टÑद्रोही का सर्टिफिकेट थमाकर पाकिस्तान चले जाने को कह दे। अच्छा बाबा.. अब नहीं कहूंगा तुझे जादूगर। मैंने पूछा...अब यह बता कि गरीबों की लाचारी और उनकी दर्दनाक मौत पर दुखी होने के बजाय तुझे गुस्सा क्या आता है? बोला... बेवकूफ, सोशल मीडिया का दायरा पूरी दुनिया तक फैला है। दूसरे देश वाले क्या सोचते होंगे? हमारे महान देश की बे-इज्जती करा रहे हैं ये लोग। मोदी जी ने छह साल देश-देश घूमकर दुनिया को बताया है कि हमारे देश ने कितना विकास कर लिया है। अमेरिका की हॉस्टन सिटी में जब उन्होंने ‘आॅल इस वेल इन इंडिया’ कहा तो कितनी तालियां बजी थीं। हमारे देश के न्यूज चैनलों को यहां तक कहना पड़ा कि अब विकास और समृद्धि में भारत अमेरिका को भी पीछे छोड़ने वाला है। अब तू ही बता कि लाखों-करोड़ों भूखे गरीबों के मरते-खपते सड़कों पर पैदल चलते वीडियो देखते होंगे तो भारत की छवि कैसे तार-तार हो रही होगी? ये फोटो और वीडियो वायरल करने वाले क्यों नहीं सोचते कि मोदी जी ने लॉकडाउन-4 और 20 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान करने के साथ देश को ‘आत्मनिर्भर’ बनने का भी पाठ पढ़ाया था। क्यों नहीं समझते कि प्रियंका गांधी ने एक हजार बसों का शगुफा छोड़कर कितना बड़ा पाप किया है। जब मजदूर अपनी मर्जी से पैदल चलकर ‘आत्मनिर्भर’ होने का सबूत दे रहे हैंं, तो क्या जरूरत है उन्हें मुफ्त में बसों से घर पहुंचाने की? मैं तो कहता हूं कि योगी जी ने बसें वापस लौटाकर अच्छा ही किया। बेवकूफ मीडिया वाले मजदूरों की मौत की खबरें ऐसे दिखा रहे हैं, जैसे वे पहले मरते ही नहीं थे। जादूगर की दलीलों पर मैं निरुत्तर था। उसकी हर दलील मुझे मेरी सोच पर कचोट रही थी। मैं भूल बैठा था कि गरीब तो मरने के लिये ही होता है। वह तो आत्मनिर्भर प्राणी है। आखिर जानवर भी तो सड़कों पर यूं ही घूमते हैं। मजदूर जानवर से कम है क्या?
...और खोल दीं जादूगर ने आंखें