रेलवे कॉन्ट्रैक्टर्स ने दिखाई एकता की ताकत

 


रेलवे कॉन्ट्रैक्टर्स ने दिखाई
एकता की ताकत
छह मार्च को रेलवे से जुड़े कॉन्ट्रैक्टर्स ने देशभर में टूलडाउन स्ट्राइक कर अपनी एकता की ताकत दिखाई। ‘इरिपा’ के आह्वान पर हुई इस हड़ताल में पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण, यानी सभी 17 जोन व 64 डिवीजनों में इस दिन रेलवे की किसी भी साइट पर काम नहीं किया गया। हड़ताल की वजह थी, रेलवे के इतिहास में पहली बार कॉन्ट्रैक्टर्स को काम के बदले सरकार से दाम न मिलना। भले ही इस हड़ताल से सरकार के कान पर जूं नहीं रेंगी हो, लेकिन एक बात तो साफ हो गई कि देश में कॉन्ट्रैक्टर्स की एकता का सबको पता चल गया। कहना गलत नहीं होगा कि भविष्य में अगर रेलवे के हालात यही रहे तो इरिपा बड़े कदम उठाने में कामयाब होगी।
राजेश मेंघानी
नई दिल्ली
तकरीबन आधा साल से रुके पड़े बिलों का भुगतान न होने से परेशान रेलवे कॉन्ट्रैक्टर्स ने 22 फरवरी को जबलपुर में आयोजित ‘इरिपा’ के राष्ट्रीय अधिवेशन में जब एक दिन की सांकेति टूल डाउन स्ट्राइक का निर्णय लिया तो सहसा किसी को उम्मीद नहीं थी कि आंदोलन इतना कामयाब हो जाएगा। लेकिन जैसे ही ‘इरिपा’ की सेन्ट्रल कमेटी ने ‘सांकेतिक काम रोको आंदोलन’ के लिये 6 मार्च की तारीख का ऐलान किया, देश भर में कॉन्ट्रैक्टर्स सक्रिय हो गए। सेन्ट्रल कमेटी ही नहीं, जोनल और डिवीजनल मुख्यालयों में भी उन्होंने प्रैसवार्ताएं बुलाकर अपने आंदोलन की मजबूरी बताई और एकता कायम रखने का संकल्प दोहराया। 
दिल्ली में ‘इरिपा’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बालकिशन शर्मा व महासचिव राजेश मेंघानी व महावीर गुप्ता ने प्रैसवार्ता की कमान संभाली तो हैदराबाद में एससीआर अध्यक्ष वाई. राधा कृष्णा, अफसर रियाज, के. सुरेन्द्र राव, पीवीएन रेड्डी, एल.एन. रेड्डी, नरसिंम्हा रेड्डी आदि, गुवाहाटी में महेश कुमार संतानी, जबलपुर में राम सुजान गुप्ता, चेन्नई में एलेक्स पेरुमली व ईगल सुब्रहमण्यम, हुबली में वीएसवी प्रसाद, वड़ोदरा में कुलदीप सिंह सोढ़ी, अरुण टांटिया व रमेश गज्जर, इलाहाबाद में आंदोलन के सूत्रधार अशोक कुमार पाठक, गुंटूर में जनार्दन राव, लखनऊ में इन्द्रदेव मिश्रा व कन्हैया राजपूत के नेतृत्व में प्रैसवार्ताएं हुर्इं। अजय जैन, अजय मान्ध्यानी, कमल अग्रवाल, अशोक सत्पथी, रंजन कुमार, कोटेश्वर राव, कुलमीत छावड़ा, पवन भरतिया, अतुल मेहरोत्रा, एस.के.जैन, सुनील कुमार अग्रवाल, रितेश मान्यानी, जी. रंगाराव, के. असीरुद्दीन, अशोक आहूजा, समीर मकवाना भी अपने-अपने जोन या मंडल में मीडिया से रूबरू हुए और 6 मार्च की सांकेतिक हड़ताल का औचित्य बताकर कॉन्ट्रैक्टर्स एकता जिन्दाबाद के नारे लगाए। 
हड़ताल के दिन से पहले देश भर में रेलवे स्टेशनों और रेलवे कार्यालयों को बैनरों-पोस्टरों से पाट दिया गया था। छह मार्च को सुबह से ही कॉन्ट्रैक्टर्स, उनके स्टाफ कर्मचारी और श्रमिकों-इंजीनियरों ने साइटों पर निर्माण कार्य रोक दिये। इस बीच कई शहरों में उन्होंने बैनर-पोस्टर हाथों में लेकर विरोध जूलूस निकाले और अधिकारियों का घेराव कर उन्हें रेलमंत्री व रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को सम्बोधित ज्ञापन दिये। इरिपा की सेन्ट्रल कमेटी ने भी चेयरमैन के नाम ज्ञापन भेजकर बिलों का भुगतान करने की मांग उठाई। ज्ञापन दिये जाने के दौरान तकरीबन सभी अधिकारियों ने कॉन्ट्रैक्टर्स की दिक्कतों और उनके विरोध को जायज करार दिया और हाईकमान को स्थिति लिखकर भेजने का भरोसा दिया। 
अखबारों, न्यूज चैनलों, सोशल मीडिया में 6 मार्च को हुई रेलवे कॉन्ट्रैक्टर्स की हड़ताल की जमकर कवरेज हुई, लेकिन सरकार की नींद फिर भी नहीं खुली। सिविल कॉन्ट्रैक्टर्स की संस्था ‘बिल्डर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया’ कई व्यापारी संगठनों और रेलवे परियोजनाओं के लिये रॉ मटेरियल मुहैया कराने वाले ट्रेडर्स की संस्थाओं ने इस आंदोलन को अपना समर्थन देकर भरोसा दिया कि भविष्य में अगर बेमियादी हड़ताल पर रेलवे कॉन्ट्रैक्टर्स गए तो वे उनके साथ खड़े होंगे। कितने ही लोग, खासकर मीडिया के लोगों को कहते देखा गया कि उन्हें नहीं पता था कि रेलवे का ऐसा हाल हो गया है। उन्होंने कहा कि वे तो अब तक यही समझते थे कि रेलवे की माली हालत अच्छी है और रेलवे कॉन्ट्रैक्टर्स सुखी हैं।


रेड्डी की आत्महत्या पर सरकार को कोसा
छह मार्च की सांकेतिक हड़ताल से एक सप्ताह पहले हैदराबाद में रेलवे कॉन्ट्रैक्टर डी. वेंकट रेड्डी की आत्महत्या से देशभर में कॉन्ट्रैक्टर्स दुखी हैं। हड़ताल से पहले कॉन्ट्रैक्टर्स ने प्रैसवार्ताओं में इस सवाल पर सरकार को जमकर कोसा। उन्होंने कहा कि देश के करोड़ों लोगों को दुर्गम यात्रा आसानी से सुलभ कराने वाले कॉन्ट्रैक्टर्स की जिन्दगी से सरकार कोे कुछ भी लेना-देना नहीं है। रेलवे को सुविधाएं मुहैया कराने के लिये जीवन भर मेहनत करने वाले कॉन्ट्रैक्टर्स की ऐसी दुखद मौत पर सरकार को शर्म आनी चाहिए। हैदराबाद समेत पूरे देश में डी. वेंकट रेड्डी की आत्महत्या के लिये दोषी अधिकारी को नौकरी से निकालने और जेल भेजे जाने की मांग हुई। कॉन्ट्रैक्टर्स में गुस्सा देख रेलवे प्रशासन ने दोषी अधिकारी का तबादला कर मामला शांत करने की कोशिश की, लेकिन कॉन्ट्रैक्टर्स का कहना है कि इस मसले को लेकर वे आखिरी दम तक लड़ेंगे और गुनहगार अफसर को दण्ड दिलाकर दम लेंगे। कॉन्ट्रैक्टर्स ने दिवंगत रेड्डी के परिजनों को मुआवजा देने की भी रेलवे प्रशासन से मांग की। 



अब अहमदाबाद में बनेगी कॉन्ट्रैक्टर्स की निर्णायक रणनीति
वजूद और कारोबार का सवाल है, लिहाजा रेलवे कॉन्ट्रैक्टर्स ने भविष्य की दुश्वारियों से निपटने और निर्णायक रणनीति बनाने के लिये पश्चिम जोन को चुना है। इस जोन से जुड़े गुजरात के अहमदाबाद में ‘इरिपा’ का अगला अधिवेशन आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। अधिवेशन 27 जून को होगा और इसके संयोजन की कमान संस्था के सचिव कुलदीप सिंह सोढ़ी को सौंपी गई है। अधिवेशन में एजेंडा तय करने का काम सेन्ट्रल कमेटी करेगी, जिसके लिये सभी जोन कमेटियों से वहां के हालात का ब्यौरा जुटाया जा रहा है। पश्चिम रेलवे जोन में छह मंडल आते हैं, जो हैं मुंबई, रतलाम, वड़ोदरा, अहमदाबाद, भावनगर और राजकोट। श्री सोढ़ी ने बताया कि गुजरात के सभी मंडलों में कॉन्ट्रैक्टर्स अधिवेशन की रूपरेखा बनाने और उसे अंंतिम रूप देने में लगे हैं। इसके लिये घरों, होटलों और ढाबों पर बैठकर गुफ्तगूं का सिलसिला चल रहा है। गुजरात के कॉन्ट्रैक्टर्स की सक्रियता और एकता का भी इस अधिवेशन में इम्तहान है। तैयारियों को अंतिम रूप देने में कुलदीप सिंह सोढ़ी के साथ अरुण टांटिया, रमेश गज्जर, समीर मकवाना, नरेश पटेल, परेश पटेल, मुकेश पटेल, प्रताप ठक्कर, केतन शाह, अनिल पटेल, जूनियर गुलाटी, विजय अग्रवाल, एन.एस.पटेल, नरेन्द्र कोहली, राजेन्द्र सिंह राणा, विनोद मवानी, भद्रेश लखानी, नवीन पटेल, मनोज पनसूरिया, नितिन परमार, एस.पी पटेल, एजाज अंसारी, अनिल परमार, विजय जोशी, राजेन्द्र जाला समेत तमाम कॉन्ट्रैक्टर्स कदमताल हैं और पूरी शिद्दत के साथ तैयारी करने में जुटे हैं। अधिवेशन किस जगह होगा? इस सवाल पर श्री सोढ़ी ने कहा कि अहमदाबाद में कई होटल्स व रिजॉर्ट्स देखे गए हैं। जल्दी ही अधिवेशन स्थल का चयन कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस अधिवेशन में पश्चिम जोन के कॉन्ट्रैक्टर्स के अलावा देश के सभी जोन और मंडलों से कॉन्ट्रैक्टर्स हिस्सा लेंगे।